मोहन गोखले. हिंदी मराठी टेलीव्हिजन कलाकार .......( 07 Nov 1953- 29April 1999)

 मोहन गोखले. हिंदी मराठी टेलीव्हिजन कलाकार ....... 
( 07 Nov 1953- 29April 1999)

 मोहन गोखले. हिंदी मराठी टेलीव्हिजन कलाकार .......
( 07 Nov 1953- 29April 1999)

कभी हम में तुम में भी चाह थी
कभी हम से तुम से भी राह थी
कभी हम भी तुम भी थे आश्ना
तुम्हें याद हो कि न याद हो”
कुछ शक़्लें, कुछ अंदाज़ और कुछ आवाज़े, इस क़दर ज़िंदगी में शामिल हो जाती हैं कि उनकी आदत सी हो जाती है, और कई बार यही शक़्लें, ऐसे ग़ायब होती हैं कि इंसानों के साथ, किताबों और रिसालों में भी इनके निशान नहीं मिलते। तवील ज़िंदगी में बारहा उनका ज़िक्र भी नहीं होता और ऐसी नाज़िश भी नहीं रही होती कि इनको बतौर मुश्किल भी याद रखा जाए। ऐसे ही एक नाज़ुकमिज़ाज अदाकार ने हमें आवाज़ दी, हमें हंसाया और अदाकारी के आसमान में, एक टूटे हुए सितारे की तरह, अपनी यादों की एक लंबी लकीर खींचता हुआ, फ़ना हो गया। नाम था, मोहन गोखले।
एक मुख़्तर सी ज़िंदगी में, इन्होने बहुत शोहरत कमाई।
इन्होंने, हिन्दी, गुजराती और मराठी, तीनों भाषाओं में काम किया। 70 के दशक से ये नाटकों मे लगातार नज़र आने लगे। “भाऊ मुराराव”, इनके द्वारा निर्देशित एक मशहूर नाटक था, जिसे विजय तेंदुलकर जैसे महान नाटककार ने लिखा था। ये नाटक, नाना पाटेकर का पहला नाटक था।
80 के दशक में इन्होंने कई मशहूर फ़िल्में की और धारावाहिकों में काम किया। “स्पर्श”, “मोहन जोशी हाज़िर हो”, “मिर्च मसाला”, जैसी फ़िल्मों में भी इन्होंने बेहतरीन अदाकारी की। इनकी अदाकारी के क़सीदे, पूरा देश पढ़ रहा था और टेलीविज़न, अपने सबसे सुनहरे दौर से होकर गुज़रने वाला था।
1985-1990 के दौर में, टेलीविज़न, सिनेमा पर भारी पड़ने लगा था और “रामायण”, “महाभारत” जैसे धारावाहिक जहां, हिंदुस्तान का बेहतरीन माज़ी दिखा रहे थे, वहीं, “हम लोग” और “बुनियाद” जैसे धारावाहिक, उस वक़्त के टूटते परिवारों की कहानी कह रहे थे। ऐसे में, रोज़मर्रा की ज़िंदगी के मसलों को लेकर टेलीविज़न पर जगह बनाना बेहद मुश्किल था। लेकिन जगह बनी और बनाई, मोहन गोखले उर्फ़ मि०योगी (Mr.Yogi) ने।
1989 में आए Mr.Yogi, विलायत से लौटे एक ऐसे नौजवान की कहानी है जो शादी के लिए 12 अलग अलग लड़कियों से मिलता है, जिनकी अलग अलग राशियां होती हैं। 2007 में आई फ़िल्म “वाट्स योर राशि”, इसी धारावाहिक से प्रेरित थी। इस किरदार ने इन्हें एक जाना पहचाना चेहरा बना दिया।कई दिनों तक, लोग इन्हें, इसी नाम से पहचानते भी थे। इसके अलावा इन्होंने, “यात्रा”, “लेखू” और “भारत एक खोज” जैसे धारावाहिकों में भी काम किया। Mr.Yogi में, इनकी पत्नी, शुभांगी गोखले ने भी इनके साथ काम किया। इनकी बेटी, सखी गोखले भी अदाकारा हैं।
नाटकों और सिनेमा में अभी और इबारतें गढ़नी थी, कुछ और कहानियां कहनी थीं, लेकिन क़ुदरत को ये मंज़ूर न था और 1999 में, कमल हसन के साथ “हे! राम” के लिए काम करते हुए, चेन्नई में, एक रात अचानक उनकी आख़िरी रात बन गई। क़रार तो था साथ हंसने हंसाने का, क़रार था एक दूसरे की खुशियों का सबब बनने का, मगर ये हो न सका। कभी कभी अचानक टेलीविज़न पर या कंप्यूटर के स्क्रीन पर ये दिख जाते हैं, तो लगता है कि मुस्कुराते हुए पूछ रहे हैं :
” वो जो हम में, तुम में क़रार था
तुम्हे याद हो कि न याद हो”

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